देहरादून
* श्री गुरु अमरदास साहिब महाराज जी का 546वां आगमन प्रकाश पुरब गुरुद्वारा टी. एच. डी. सी. कालोनी, देहरा खास की संगत द्वारा बड़े धूमधाम व श्रधा से मनाया गया जिसमें सभी धर्मो के लोगों ने हाजरी भरी*।
इस पावन प्रकाश पुरब के अवसर पर सुबह 5 बजे से 10-30 बजे तक विशेष दीवान सजाया गया जिसमें *सर्वप्रथम गुरबाणी का सिमरन नितनेम, श्री सुखमनी साहिब जी का पाठ व आसा दी वार व कीर्तन होया*।
*जिसमें गुरु घर के प्रसिद्ध रागी भाई ज्ञानी प्रदीप सिंह जी व भाई जसवीर सिंह जी ने गुरुबाणी कीर्तन द्वारा शबद “*भले अमरदास गुण तेरे तेरी उपमा तोहि बनि आवे”* का गायन कर संगतो को निहाल किया।
इस मौके पर *श्री सुखमनी साहिब सेवा सोसाइटी ( स्त्री सत्संग) देहरा खास* द्वारा भी शबद गायन कर संगतो को निहाल किया गया।
इस मौके पर *प्रधान एच0 एस0 कालड़ा * द्वारा श्री गुरु अमरदास साहिब जी के जीवन पर प्रकाश डाला और बताया* *श्री गुरु अमरदास साहिब जी का अवतार 05 मई 1479 में बारसके गिलाव पंजाब में हुआ।*
*गुरु साहिब जी ने हमें सत्य, करुणा और सेवा का मार्ग दिखाया।*
*श्री गुरु अमरदास साहिब जी का जीवन हमें सिखाता है कि समाज सेवा ही सच्ची भक्ति है। दूसरों की मदद करना, समानता का आदर करना और बिना किसी भेदभाव के सबकी सेवा करना ही मानवता का मूल उद्देश्य है*
*एच0 एस0 कालड़ा -प्रधान* द्वारा *धन- धन श्री गुरु अमर दास साहिब जी के जीवन इतिहास को बताते हुए कहा कि गुरू साहिब ने गुरु घरों में लंगर की प्रथा चलाकर जाति-पांति, अमीर-गरीब और ऊच-नीच का भेदभाव को मिटाया जो समाज को एक अमुल्य शिक्षा प्रदान करता है।*
*दूसरा*आनंद कारज की रचना का कार्य किया। आज सिक्ख समाज में जो शादीयां होती है उसमें आनंद कारज का बहुत बड़ा महत्व है।*
*गुरु साहिब जी ने अपने स्थान पर सन 1574 में श्री गुरू रामदास साहिब जी को अपना उत्तराधिकारी बनाया जो आगे चलकर चौथे गुरु के रूप में गद्दी पर विराजमान हुए। गुरू साहिब जी ने दुःखीयो का दर्द भी मिटाया है*।
*दीवान की समाप्ति के उपरांत गुरु का अतुट प्रसाद व मिष्ठान वरताया गया।*
*इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य परवीन मल्होत्रा, कुलदीप सिंह, विजय खुराना, अजीत सिंह, हरजीत सिंह*आदि मौजूद रहे व पूरा पूरा सहयोग दिया।*